कौन
By Arushi (Aru Shan) मालिक कौन मुलाज़िम कौन यहां हर परिंदे के पैर एक डोर में बंधे हैं शाज़िम क्या उदासी क्या हर जज़्बात हमसे पहले हज़ारों...
कौन
Subah Savere
Dekhte Hai
Lijiye
ख्वाहिशें
जिंदगी में हो रहे हैं हादसे ही हादसे।
ये वहम का जाल मैं अब तोडना चाहता हूँ
मेरी खलिश की तिश्नगी गज़ल
मुन्तज़िर मेरी बेचैनियाँ गज़ल
चाँदनी आज ज़ेर-ए-नकाब में आइ है ।
मै आबाद हो जाऊ ।
ग़ज़ल
Mir, Ek Khat Tumhare Naam - A Letter From A 21st Century Poet In Delhi
Kuch Zakhm Hai Jo Zamane Se Mile Hai
Shab-E-Intezaar Guzar Kyu Nhi Jaati
Ye Raahein Bayaan Karengi Kahaani Teri
मुझ पे बस तुम्हारा ही इख़्तियार रहे
एक तेरी तस्वीर ही कब तक मुसलसल देखूँ
हादसों के बिना ज़िन्दगी अधूरी होती है