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Ghazal
रहता है।
By Nandlal Kumar इलाही मेरे दिल के दरवाज़े पे तू बेकार रहता है, माफ़ करियो इस घर में मेरा यार रहता है। उस हुस्न पे नज़र ठहरे तो कैसे...
Hashtag Kalakar
Jan 111 min read
सरहद पर धुआँ-धुआँ-सा ....
By Nandlal Kumar यूँ हाथ दबाकर गुजर जाना आपका मज़ाक तो नहीं, आज तो रूमानियत है कल मेरा दर्दनाक तो नहीं। ये सरहद पर धुआँ-धुआँ-सा क्यों है,...
Hashtag Kalakar
Jan 111 min read
चाहता हूँ।
By Nandlal Kumar तुमसे ये बात अकेले में कहना चाहता हूँ, ज़ुल्फ़ों की नर्म छाँओं में रहना चाहता हूँ। आप कह दिए हैं कि मैं बहुत गमगीन रहता...
Hashtag Kalakar
Jan 111 min read
Nari Sashaktikaran Ki Ghazal
By Nandlal Kumar नारी सशक्तिकरण की ग़ज़ल। गज़ल में शीर्षक देने की परंपरा नहीं रही है, नहीं तो मैं शीर्षक देता "मुझे वास्तविक आज़ादी दो"...
Hashtag Kalakar
Jan 111 min read
Taqdeer
By Gyan Prakash तक़दीर है, अब चलने दो, जैसा इसका असर चले निहथ्हे युधः होता नहीं, जब तलवार-औ-खंजर चलें अब वो जूनून नहीं के नदियों का रास्ता...
Hashtag Kalakar
Jan 91 min read
Apne Ghar Jaye
By Gyan Prakash तीर कहीं सीने के ना भीतर उतर जाये ना देखो यूँ.. कोई ख़ुशी से ना मर जाये ना निकला करो यूँ चांदनी में ऐ सनम...
Hashtag Kalakar
Jan 91 min read
Kya Likhun
By Gyan Prakash समझ नहीं आता तुझे मैं क्या लिखूं तूफाँ लिखूं या ठंढी हवा लिखूं मंजिल लिखूं तुझे या लिखूं मैं हमसफ़र...
Hashtag Kalakar
Jan 91 min read
Ghulam Hain Tere
By Gyan Prakash वफ़ा, मुहब्बत, क्या-क्या नाम हैं तेरे ये चाँद-तारे भी ग़ुलाम हैं तेरे इश्क़ करना अगर गुनाह है, तो सजा दे कबूल हमें सारे...
Hashtag Kalakar
Jan 91 min read
Ghazal
By Murtaza Ansari आओ बैठो मेरी कुछ बात अभी बाकी है इस खामोश शख्स की आवाज़ अभी बाकी है ऐ काश यहाँ पर होता कोई अपना मेरा मेरे अपनों की...
Hashtag Kalakar
Jan 71 min read
Love
By Hemant Kumar जब जब इस मोड़ मुडा हूं मैं हर दफा मोहब्बत में टूट कर के जुड़ा हूं मैं शिक़ायत नहीं है जिसने तोड़ा मुझको टुकड़े-टुकड़े किय...
Hashtag Kalakar
Jan 9, 20241 min read


लोग दिमागों से जब लड़ने लगते हैं
By Tanya Singh लोग दिमाग़ों से जब लड़ने लगते हैं दिल से सारे रिश्ते बिगड़ने लगते हैं समझा नहीं पाते हैं जो बातें अपनी इसलिए शायद वो सब लड़ने...
Hashtag Kalakar
Dec 24, 20231 min read


हुआ सहरा नहीं है आँखों का दरिया हमारा
By Tanya Singh हुआ सहरा नहीं है आँखों का दरिया हमारा किसी भी शे'र में आँसू नहीं सिमटा हमारा अंगूठी घास की पहनाई थी हमने किसी को अभी तक...
Hashtag Kalakar
Dec 24, 20231 min read
मेरी नज़र के सामने
By Vinod ( Prem Sagar ) ग़ज़ल-1 होता नहीं कुछ भी असर उसके असर के सामने हर कहीं रहता है वो मेरी नज़र के सामने सुन रहे हो तुम ग़ज़ल ये...
Hashtag Kalakar
Dec 24, 20234 min read
आख़िरी पैग़ाम
By Abhimanyu Bakshi उठाकर चलेंगे जब लोग मेरा जनाज़ा मंज़िल की जानिब, मेरे दुश्मन भी आँख से तब आंसू बहाएँगे। ता-उम्र जो हाथ मिलाने से भी...
Hashtag Kalakar
Dec 19, 20231 min read
मगर
By Abhimanyu Bakshi मेरा शहर रौनक़ों का शहर है, मेरा दिल क्यों है वीरान मगर। महफ़िल में तो चाँद भी आये थे, फिर भी था सब सुनसान मगर। मौसम...
Hashtag Kalakar
Dec 19, 20231 min read
नज़र आता है
By Abhimanyu Bakshi छत से इक आसमान नज़र आता है, ख़्वाबों का मैदान नज़र आता है। मैं आँखें मीचकर जब भी देखता हूँ, इक अलबेला जहान नज़र आता...
Hashtag Kalakar
Dec 19, 20231 min read
उदासी है मगर अच्छी है
By Abhimanyu Bakshi मन न-जाने यूँ ही क्यों भर सा आता है, कुछ तो है जो जज़्बाती कर सा जाता है। रोज़ इक ख़्वाब जन्म लेता है दिल में, रोज़...
Hashtag Kalakar
Dec 19, 20231 min read
दिवाली मना लीजिए
By Abhimanyu Bakshi मेरे नाम का एक दीपक जगा लीजिए, उसकी रोशनी से मेरी दुआएँ पा लीजिए। सीने से लगाइए इस ख़त को, इस ग़ज़ल से अपना दिल सजा...
Hashtag Kalakar
Dec 19, 20231 min read
दिल
By Abhimanyu Bakshi भीड़ में रहने का दिल करता नहीं है, अकेले हों तो दिल लगता नहीं है। पैदा हो जाती हैं किसी के लिए भी नफ़रतें, आसानी से...
Hashtag Kalakar
Dec 19, 20231 min read
चाय पर आओ कभी
By Abhimanyu Bakshi आओ इक साथ बैठकर कुछ बातें की जाएँ, बातों के साथ-साथ चाय की चुस्की ली जाए। तनहा मैं भी नहीं न तुम हो दोनों को मालूम...
Hashtag Kalakar
Dec 19, 20231 min read
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