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दिल

Updated: Dec 22, 2023

By Abhimanyu Bakshi


भीड़ में रहने का दिल करता नहीं है, 

अकेले हों तो दिल लगता नहीं है।


पैदा हो जाती हैं किसी के लिए भी नफ़रतें,

आसानी से किसी का दिल पलता नहीं है।


ख़ुशी इतनी कि आँख भी भर आती है,

लेकिन ये कमबख़्त दिल भरता नहीं है।


नए मौसमों में तो कई नए अफ़साने थे,

बीती घड़ियों से पर दिल उभरता नहीं है।



ख्वाहिशें भी बे-इंतिहा हैं मगर,

ख़्वाहिशों के लिए दिल मरता नहीं है।


हज़ार ठोकरें खाकर फिर संभलकर भी,

दिल दुखाने से दिल डरता नहीं है।


लगा रहता है बस अपनी बेचारगी जताने में,

नासिर की आँखें दिल पढ़ता नहीं है।


ख़ुदा की मेहरबानी थी जो हालात सुधर गए,

हालातों के साथ पर दिल सुधरता नहीं है।।…


By Abhimanyu Bakshi





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