Taqdeer
- Hashtag Kalakar
- Jan 9
- 1 min read
Updated: Jul 15
By Gyan Prakash
तक़दीर है, अब चलने दो, जैसा इसका असर चले
निहथ्हे युधः होता नहीं, जब तलवार-औ-खंजर चलें
अब वो जूनून नहीं के नदियों का रास्ता मोड़ सकें
एक ख़ामोशी लिए, चले जिधर लहर, उधर चलें
सुबह से शाम हुई, गलियों में हसरतों को तलाशते
शायद कोई इंतज़ार में हो, एक बार अपने घर चलें
By Gyan Prakash
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