Apne Ghar Jaye
- Hashtag Kalakar
- Jan 9
- 1 min read
Updated: Jul 14
By Gyan Prakash
तीर कहीं सीने के ना भीतर उतर जाये
ना देखो यूँ.. कोई ख़ुशी से ना मर जाये
ना निकला करो यूँ चांदनी में ऐ सनम
चाँद को जलन होती है बेचारा किधर जाये
मंज़िलों की फिक्र किसे जब रास्ते हों हसीं
एक दरश को तेरे सारा कारवाँ ठहर जाये
समेट लो इन गेसुओं को अब बिखरने ना दो
दिल बेकाबू सा है ना हद से गुज़र जाये
हो हुजूम रिंदों का और महफ़िल भी हो जवाँ
कौन कम्भख्त लौट के अपने घर जाये
By Gyan Prakash
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