'आख़िरी पैग़ाम: जानिए कौन है "Hashtag Kalakar" का प्रमुख'
top of page

आख़िरी पैग़ाम

Updated: Dec 22, 2023

By Abhimanyu Bakshi


उठाकर चलेंगे जब लोग मेरा जनाज़ा मंज़िल की जानिब,

मेरे दुश्मन भी आँख से तब आंसू बहाएँगे।


ता-उम्र जो हाथ मिलाने से भी कतराते थे,

मेरी अर्थी को चूमकर गले लगाएँगे।


मेरे सूखे बदन पर आँखों में कुछ नमी होगी,

अपने किए सब गुनाह जो आगे आएँगे।




याद करने वालों से कहिएगा कि याद न करें,

वक़्त ही ज़ाया होगा हम न आ पाएँगे।


हमें ख़ास न बेशक महज़ जगह देना ज़िंदगी में,

चले जाएँगे तो शायद बहुत याद आयेंगे।


By Abhimanyu Bakshi






99 views3 comments

Recent Posts

See All

Love

By Hemant Kumar जब जब इस मोड़ मुडा हूं मैं हर दफा मोहब्बत में टूट कर के जुड़ा हूं मैं शिक़ायत नहीं है जिसने तोड़ा मुझको टुकड़े-टुकड़े किया है शिक़ायत यही है हर टुकड़े में समाया , वो मेरा पिया है सितमग

bottom of page