रहता है।
- Hashtag Kalakar
- Jan 11
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Updated: Jul 17
By Nandlal Kumar
इलाही मेरे दिल के दरवाज़े पे तू बेकार रहता है,
माफ़ करियो इस घर में मेरा यार रहता है।
उस हुस्न पे नज़र ठहरे तो कैसे ठहरे,
जो कभी फूल बनता है कभी रुख़्सार रहता है।
सँवारते ही उलझ जाती है मेरी ज़िंदगी,
जैसे तुम्हारे लट तुम्हारे चेहरे पर सवार रहता है।
मेरी आशाओं की तरह मिटने लगे हैं अक्षर,
पर तेरा खत तेरी खुशबू से सरोवार रहता है।
न पूछो क्यों शेर इतना असरदार रहता है,
लिखते वक्त एक तीर ज़िगर के आर-पार रहता है।
By Nandlal Kumar

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