'उदासी है मगर अच्छी है' - Hashtag Kalakar's Emotional Poetry Blog
top of page

उदासी है मगर अच्छी है

Updated: Dec 22, 2023

By Abhimanyu Bakshi


मन न-जाने यूँ ही क्यों भर सा आता है, 

कुछ तो है जो जज़्बाती कर सा जाता है।


रोज़ इक ख़्वाब जन्म लेता है दिल में,

रोज़ इक ख़्वाब मर सा जाता है।


जितना मजबूर होते हैं ख़ामोश होने को,

भीतर का शोर उतना बढ़ सा जाता है।


साँस लेने की वैसे आदत है अब तो, 

धड़कते-धड़कते दिल कभी-कभी डर सा जाता है।



वक़्त बड़ी तेज़ी से चला जाता है आगे,

ज़ेहन ख़्यालों में कहीं धर सा जाता है।


मैंने कई रंग चाहे थे अपने इस दिल में,

गहरे रंगों से भी दिल संवर सा जाता है।


मन बहलने लगता ही है यूँ ही इक दिन, कि,

फिर कोई ज़ख़्म उभर सा जाता है।


ये जो लोग कहते हैं कि उन्हें कोई ग़म नहीं,

पर्दे में उनका भी दामन तर सा जाता है।


ख़ुशी से कई ज़्यादा ग़म में है असर,

आंसुओं से चेहरा निखर सा जाता है।


By Abhimanyu Bakshi





27 views2 comments

Recent Posts

See All

Love

By Hemant Kumar जब जब इस मोड़ मुडा हूं मैं हर दफा मोहब्बत में टूट कर के जुड़ा हूं मैं शिक़ायत नहीं है जिसने तोड़ा मुझको टुकड़े-टुकड़े किया है शिक़ायत यही है हर टुकड़े में समाया , वो मेरा पिया है सितमग

bottom of page