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मै आबाद हो जाऊ ।

Updated: Dec 3, 2022

By Neha Mishra





तमन्नाओ के तकिऐ तले

मिरी जिन्दगी गुजरी है

जो तू छू ले मुझे तो

मै आबाद हो जाऊ ।

ये करम है या सजा

जहरे-ए-नकाब में हुऐ वो रु-ब-रु

जो नजर से नजर मिल जाऐ

तो मैं बर्बाद हो जाऊँ ।

तख्त-ए-सुल्तां अब मुझे

अज़ाब सा लगता है

किसी बेजार बस्ती का

मै चराग हो जाऊँ ।




मयकदी में गुजारा अब न होगा

न होगा छोड़ कर भी

रहमत-ए-करम हो

उसकी जुल्फ का मैं गुलाब हो जाऊँ ।

खुदी करली बहुत उनकी

हसरत इक रही दिल में

लबों से वो लगाऐ जाम तो

मैं शराब हो जाऊँ ।


By Neha Mishra




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