मुझ पे बस तुम्हारा ही इख़्तियार रहे
- Hashtag Kalakar
- Nov 11, 2022
- 1 min read
By Sandeep Sharma
मुझ पे बस तुम्हारा ही इख़्तियार रहे मैं चाहता हूँ मुझे बस तुम से ही प्यार रहे
कीमत भले जो अदा हो इसकी बस तुम्हारे लबों का तबस्सुम बरक़रार रहे
धूप बारिश हवा बादल बिजली कुछ भी नहीं तुम्हारे साथ तो सब मौसम
ख़ुशगवार रहे
कभी बढ़े कभी घटे घट कर फिर बढ़ जाए मैं चाहता हूँ चाँद जैसा ही अपना
प्यार रहे
तुम्हारे साथ हर दिन फ़रिश्तों सा लगता है मैं चाहता हूँ मेरे हाथ में यूँ ही तुम्हारा
हाथ रहे
ये इश्क़ के दुश्मन प्रेमियों के क़ातिल भूखे ना मर जाएँ ए ख़ुदा आबाद यूँ ही प्यार का
कारोबार रहे
मैं चाँद सितारों की एक दुनिया बसाना चाहता हूँ ऐसी दुनिया जिसमे सब एक दूसरे के
मददगार रहे
ये मासूम अध-खिली ज़र्द कलियाँ यूँ ही ना मसली जाएँ फूल बनने का उनको भी
इख़्तियार रहे
मक़तूल को ही आख़िर क़ातिल बताया गया और वो सब रिहा हो गए जो गुनहगार
रहे
बड़ी मुश्किल से मिलती है मोहब्बत की दौलत ख़ुदा करे प्यार करने वाले हमेशा आबाद
रहे
By Sandeep Sharma

Comments