बारिश का मौसम
- Hashtag Kalakar
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By Suhani Gupta
थे कुछ वह दिन बुझे-बुझे से,
सबका था समय खराब,
छाए घने बादल काले,
लो जी, आ गये बड़े नवाब।
बरसने लगे बादल काले,
बरसने लगी हज़ारों ख़ुशियाँ,
सबने उठकर खोले झरोखे,
बूँदों में बह गई घमों की अस्थियाँ ।
बहार आए सब भागते-भागते,
चहकते हुए सब नाचे-गाए,
फिर सबकी थी एक ही इच्छा,
क्यों न गर्म चाय की प्याली हो जाए!
मम्मी ने फिर जलाई गैस,
और फटाफट उबाली चाय,
देखने गई जब बाहर तो देखा,
पापा तो पकौड़े भी ले आए!
हो गया मौसम सुहाना,
खूब ठहाके लगाए,
संगीत संग ख़त्म हुई शाम,
बस अब बिजली न चली जाए।
By Suhani Gupta
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