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तन्हाई

By Aishwarya Sharma


आसमान की ऊँचाई और समन्दर की गहराई,

जितनी दूरी दोनों में बस उतनी है तन्हाई।


हादसे और हक़ीकत भला पन्नों पर कब उतरे,

कहानी भी किसकी आजतक एक किताब में समाई।


दर्द अक्सर खुबसूरत चीज़ों से ही छुपाया जाता है,

ग़म के लिए हँसी ले लो,सिसकियों के लिए शहनाई।


सबसे खुबसूरत नज़ारा ही मय्यत का था मेरी,

इसी वक्त में क्यूँ खो दी,मैंने अपनी बिनाई।


आसमान की ऊँचाई और समन्दर की गहराई,

जितनी दूरी दोनों में बस उतनी है तन्हाई।





मुकम्मल ना हो कुछ तो टूटना लाज़मी नहीं,

ब्याहे हुए कान्हा को भी,खूब चाही थी मीरा बाई।


वक्त तो आँसू और अकेलापन भी तय कर चुके रात का,

जो ख़ौफ उजाले में रहता,है नाम उसका रूसवाई।


भीगा तकिया हमेशा गवाह नहीं हो सकता,

सारी रात जगे इंसां,फिर कैसे ले अंगड़ाई।


आसमान की ऊँचाई और समन्दर की गहराई,

जितनी दूरी दोनों में बस उतनी है तन्हाई।



By Aishwarya Sharma




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