क़बूलना मुश्किल
- Hashtag Kalakar
- Dec 19, 2023
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Updated: Jul 28
By Abhimanyu Bakshi
हमारा राब्ता भी इक मिसाल था कभी,
आज-कल किसी पुरानी किताब का फ़साना है।
जिस शख़्स में तुम्हें नज़र आता था आईना,
आज वही शख़्स तुम्हारे लिए बेगाना है।
पहले मिलने को हमसे तुम बे-क़रार रहते थे,
अब ख़्यालों में भी तुम्हें हमसे दूर जाना है।
हमने तुम्हीं से तो सीखा था वादा निभाना,
आज तुम पे हर एक बात के लिए बहाना है।
ख़ुदा क़सम इतना बदल गए हो तुम,
ये तुम ही हो, ख़ुद को यक़ीन दिलाना है।
हमसे लोग पूछा करते हैं तुम्हारे बारे में,
अब बताओ कि आख़िर उन्हें क्या बतलाना है।
क्या बाक़ी है गुंजाइश कोई अभी इस कहानी में,
या फिरसे दोस्ती का नाम मिट्टी में मिल जाना है।
ग़म दो, हम बदले में दुआएँ देते रहेंगे,
तुम्हें अपना, मुझे अपना फ़र्ज़ निभाना है।।…
By Abhimanyu Bakshi

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