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Lijiye

By Arpit Pokharna




किस किस की कही, किस किस की सुनी को मान लीजिए पहले अपने समक्ष जो है उसे पहचान लीजिए

मुसकुराहट तक किसी के होने की मोहताज है ज़िंदगी में अब और कितने एहसान लीजिए

बहुत ख़ामियां मिल जाएगी दूसरो की अपने आप को भी तो ज़रा जान लीजिए

लगता हैं महज़ एक शेर से बात बने ना बने आइए ये मेरा समूचा दीवान लीजिए

कब तक ये मीर की ग़ज़लें, साहिर की नज़्में अपने हुनर से भी तो कुछ काम लीजिए


खुद को किसी और सा साबित करने का सबब

और उठा लिया दुनिया जहां का बोझ तमाम लीजिए


By Arpit Pokharna



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