सत्य
- Hashtag Kalakar
- 2 days ago
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By Soumya Bhardwaj
हताश हो या किसी की तलाश में हो?
जिसे कभी पाया नहीं, क्या उसी की 'काश' में हो?
लापता हो? या गुमनाम?
या क्या सिर्फ़ जीवन की लाश में हो?
पर्दों के पीछे तो सर पर है ताज,
मगर उस मुखौटे के बिना तुम हो नहीं किसी के ख़ास।
ज्ञानी कहो या मूर्ख, संवाद विचार का नहीं।
आडंबर कहो उसे या दिगंबर,
इस कोलाहल में न पाप, न पुण्य कोई।
अथाह प्रेम उस अज्ञात से,
पर्यटक मात्र तेरे पैर, कहूँ,
जो है मस्तिष्क से परे, उसे ही तेरा आख़िरी सैर कहूँ।
ना आए समझ तो घबराना नहीं।
समझना चाहा था, यही कर दी थी सारी ग़लती।
माफ़ी मिलेगी।
भटक कर ही सही,
या तो 'काश' और 'तलाश' के बीच बीत जाएगी सारी ज़िंदगी।
By Soumya Bhardwaj

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