काश हम कभी मिले ही ना होते…
- Hashtag Kalakar
- 7 hours ago
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By Saloni Duggal
काश हम कभी मिले ही ना होते,
तो इतने गिले ही ना होते।
हम कभी बिछड़े ना होते,
दिल हमारे इस कदर बिखरे ना होते।
काश वो दिन आया ही ना होता,
तुमने हमारे रिश्ते को आज़माया ही ना होता।
वो खेल दिलों के बीच खिलवाया ही ना होता,
राज़ों को दिल में दबाया ही ना होता।
चुप्पी को भाषा बनाया ही ना होता,
दिलों के बीच यूँ फ़ासला आया ही ना होता।
तो इतने गिले ना होते,
दिल हमारे इस कदर बिखरे ना होते।
प्यार से सब सुलझाया होता,
गले से मुझे अपने लगाया होता।
रास्ता कोई और अपनाया होता,
मुझे सब सच बताया होता।
तो इतने गिले ना होते,
दिल हमारे इस कदर बिखरे ना होते।
दरमियाँ दूरी कैसे आई,
कैसे खाई से भी गहरी ये बन पाई।
विश्वास कैसे टूट गया,
साथ हमारा छूट गया;
दिल हमारा टुकड़े-टुकड़े होकर टूट गया।
काश वो रात आई ही ना होती,
ऐसी बातें तुमने अपने ज़हन में छुपाई ही ना होती।
तो इतने गिले ना होते,
दिल हमारे इस कदर बिखरे ना होते।
आओ सच से रूबरू कराता हूँ,
उस रात से पहले सजाए हुए सारे सपने मैं अपने तुम्हें दिखाता हूँ।
हाथों में हाथ होते,
हम दोनों साथ होते।
चाय की प्याली होती,
दिल की बातें हमने एक-दूसरे के सामने निकाली होती।
प्यार से हमने एक-दूसरे को निहारा होता,
मदद से एक-दूसरे की अपने आप को निखारा होता।
जिस्मों से आगे बढ़ के रूह से रिश्ता जोड़ते,
खुशियों का रुख हम तुम्हारी तरफ़ मोड़ते।
तुम्हारे नाम पे हम मुड़ जाते,
तुम्हें खुश देख हम मुस्कुराते;
तुम्हारे सारे ग़म हम चुरा ले जाते;
एक तुम्हारे साथ होने से हम दर्द में भी मुस्कुरा पाते।
पर सपने अब टूटे तो क्या,
हाथों से हाथ छूटे तो क्या;
अभी भी उतना ही ऐतबार है,
क्योंकि मुझे तुमसे प्यार है;
मुझे तुमसे प्यार है…
By Saloni Duggal

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