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रहता है।

By Nandlal Kumar इलाही मेरे दिल के दरवाज़े पे तू बेकार रहता है, माफ़ करियो इस घर में मेरा यार रहता है। उस हुस्न पे नज़र ठहरे तो कैसे...

 
 
 
सरहद पर धुआँ-धुआँ-सा ....

By Nandlal Kumar यूँ हाथ दबाकर गुजर जाना आपका मज़ाक तो नहीं, आज तो रूमानियत है कल मेरा दर्दनाक तो नहीं। ये सरहद पर धुआँ-धुआँ-सा क्यों है,...

 
 
 
चाहता हूँ।

By Nandlal Kumar तुमसे ये बात अकेले में कहना चाहता हूँ, ज़ुल्फ़ों  की नर्म छाँओं में रहना चाहता हूँ। आप कह दिए हैं कि मैं बहुत गमगीन रहता...

 
 
 

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