किरदार सारे किराएदार है यहाँ
- Hashtag Kalakar
- Dec 6
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By Subodh P Bais (Rajput)
निकल जाते है किरदार एक - एक कर हमारी कहानी से,
जो कभी एहम हुआ करते थे ।
एक अरसे बाद जाना मैने के वो सब मेरे है ,
ये बस मेरे मन के वेहम हुआ करते थे ।
कहानी शुरू है ,किस्से वही है ,बेकसूर जमाना नही, तो कसूरवार हम भी नहीं है ।
अब वाकिफ है हम जमाने की फितरत से बस कहते नहीं है ।
वक्त के बाजार मे बीते हुए पल फिर बिकते नहीं है,
लाख कर लो कोशिशे मगर एकतरफा फर्जी रिश्ते कभी टिकते नहीं है।
जो थे कभी मेरे वो अब मेरे हिस्से नहीं है ,
वो किरदार थे , या थे किराएदार ?
शक के साए आसानी से जेहन से हटते भी नहीं है।
बिना ठोकरों के जिंदगी में अनुभव यूही मिलते नहीं है,
परिस्थितियों की परीक्षा से पहले लोगो के असली चेहरे कभी दिखते नहीं है ।
सौदा कीमती है रिश्तों का,
इसमें कीमत विश्वास को रख "दाव पर" चुकानी पड़ती है।
ये व्यवहार है, व्यापार नहीं !
इसे समझने और निभाने मे एक उम्र बितानी पड़ती है।
बदल जाएगा हर शख्स अपनी जरूरतों के मुताबिक एक वक्त के बाद यहाँ ,
इसीलिए उम्मीद किसी से ज्यादा रखनी नहीं है।
बड़े ध्यान से चुनना जिंदगी में रिश्ते,
ये रिश्ते किसी सामान की महज़ किश्तें नहीं है।
चलते रहने का नाम है जिंदगी ,
सफर के दुख दर्द या हादसे आखरी मंजिल नहीं है ।
साँसें बाकी है, तो ऐसा नही की कुछ हासिल ही नहीं है।
अगर ना भी रहे कोई साथ, तो किस बात का रखना मर्ज ?
खोकर अपने तारे आसमान कभी रोता नहीं है।
फिर क्यों रखे उम्मीदें और रहे उदास ?
आखिर ये ठहरी साली इंसानी जमात ,
ये कोई भगवान या फरिश्ते थोड़ी है ।
By Subodh P Bais (Rajput)

Beautiful and heart touching lines
👏👏 appreciated