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Mushaira 6

By Manas Saxena


क्या ख़ूब बातों से मोहब्बत जताते हैं

अश्कों से कागज़ सजाते हैं |


मगर जो दिल ना छू पाए

तो ये महज़ लफ़्ज़ों के

खेल नज़र आते हैं |


वो जो कलम से दिल को छू लिया करते थे

आज उन्हीं हाथों से

वो फासले बढ़ा लिया करते हैं |


फ़िर क्यू लफ़्ज़ो में उलझे हम  

क्यूँ इश्क को रुसवा करें 

जब अंजाम-ए-मोहब्बत सिर्फ जिस्मानी हो 

तो यार की तमन्ना क्यूँ करें ||


By Manas Saxena


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