Mushaira 6
- Hashtag Kalakar
- Dec 1
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By Manas Saxena
क्या ख़ूब बातों से मोहब्बत जताते हैं
अश्कों से कागज़ सजाते हैं |
मगर जो दिल ना छू पाए
तो ये महज़ लफ़्ज़ों के
खेल नज़र आते हैं |
वो जो कलम से दिल को छू लिया करते थे
आज उन्हीं हाथों से
वो फासले बढ़ा लिया करते हैं |
फ़िर क्यू लफ़्ज़ो में उलझे हम
क्यूँ इश्क को रुसवा करें
जब अंजाम-ए-मोहब्बत सिर्फ जिस्मानी हो
तो यार की तमन्ना क्यूँ करें ||
By Manas Saxena

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