ज़िन्दगी की शाख
- Hashtag Kalakar
- 2 hours ago
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By Varsha Rani
ज़िन्दगी की शाख पर बैठा हुआ परिंदा हूँ मैं,
तेरी अनाम गलियों का बाशिंदा हूँ मैं,
तेरी दुनिया में दिखे रंगों पर शर्मिंदा हूँ मैं,
क्या सिर्फ तेरी कश्मकशों का कारिन्दा हूँ मैं ?
तू शमां बनकर इतरा, क्योंकि तेरा पतंगा हूँ मैं,
पर हाय !
इतना ख्वार न कर, तेरा ही तो नुमाइंदा हूँ मैं,
अपनी रहमतों से क्यों करता है, महरूम मुझे,
ज़िन्दा हूँ, अरे ! अभी तो ज़िन्दा हूँ मैं I
By Varsha Rani

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