समाज की दो घण्टियाँ
- Hashtag Kalakar
- Oct 23
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By Dr Er Ratnesh Gupta
बेरोज़गार लड़का एक ऐसा घंटा है,
जिसे रिश्तेदार, पड़ोसी, सब बजा जाते हैं।
कोई पूछे – "नौकरी कब लगेगी?"
कोई कहे – "तुमसे तो घर नहीं चलेगा!"
कुंवारी लड़की भी एक घंटी बन जाती है,
जिसे सब अपनी राय से बजा जाते हैं।
कोई कहे – "अब तो शादी कर लो,"
कोई कहे – "उम्र निकल जाएगी!"
विडम्बना देखिए इस समाज की,
कि दोनों की चुप्पी ही सबसे बड़ा शोर बन जाती है।
और सबसे दुख की बात यह है –
सुनने वाला कोई नहीं होता।
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By Dr Er Ratnesh Gupta

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