सपनों की उड़ान
- Hashtag Kalakar
- 1 hour ago
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By Umang Agarwal
मेरे सामने दूर-दूर तक फैला यह आकाश
मानों मेरी कल्पनाओं को पंख लगा देता है
और इन पंखों के साथ उड़ती हुई - मैं
आकाश की ऊंचाइयों तक पहुंचना चाहती हूँ
छूना चाहती हूँ इस गगन को
और नभ की इस विशालता में समा जाना चाहती हूँ
या -
समेट लेना चाहती हूँ व्योम को
अपने सपनों में
उन सपनों में
जो कभी ना कभी यथार्थ का रूप लेकर रहेंगे
क्योंकि,
आकाश की यह ऊँचाई
मुझे देती है प्रेरणा, बुलंदियों तक पहुँचने की
और इसकी विशालता में मुझे मिलता है साहस
वर्तमान से जूझने को
कि जब, यह अम्बर,
समेट सकता है असंख्य सितारों को अपने आगोश में
छिपा सकता है इस धरा को अपनी छाया में
तो क्या – मैं
अपने सपनों तक को सहेज नहीं सकूँगी
अपने भविष्य को, अपने भाग्य को
मनचाही आकृति नहीं दे पाऊँगी
बस, नभ की यही विशालता
मुझे देती है विश्वास
मुझमें भरती है एक नई ‘उमंग’
अपने नाम को सार्थक करने के लिए
और
अपनी मंज़िल की ओर
अगला कदम बढ़ाने के लिए।
By Umang Agarwal

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