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वाक्पटुता का महत्व

By Ananya Gupta


जीवन के लगभग सभी क्षेत्रों में हमारा लेखन और वाचन कौशल उन्नति का पथ एवं ज्ञानावृद्धि की मुख्य पूर्वापेक्षा तथा युक्ति बन सकता है। विद्यार्थी और व्यावसायिक जीवन में हमारी शाब्दिक और भाषिक क्षमताओं के आधार पर हमें अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करने के लाभदायक अवसर प्राप्त हो सकते हैं, निजी जीवन में भी हमारी स्वयं के विचारों और उलाहनों को उचित प्रकार से प्रकट कर पाने की समझ और योग्यता की अहम भूमिका शामिल होती है।

भूत काल से ही वाक्पटुता की हमारे जीवन में बहुआयामी भूमिका रही है और वर्तमान में बढ़ती जा रही है। किसी प्रकार के प्रार्थना या कार्यालयी पत्र/इ-मेल, प्रस्तुतीकरण, प्रतिपादन एवं उपभोक्ता को किसी उत्पाद की उपयोगिता के विषय में विश्वास दिलाने और अवगत करने जैसे मुश्किल और विशाल कार्य विद्यार्थी और व्यावसायिक क्षेत्र में हमारी अभिव्यक्ति के प्रस्तुत उदाहरण हैँ। पत्र, सन्देश या हमारे वाचन का निजी संबंधों में समस्याओं और मुद्दों को प्रभावी रूप से हल कर पाना भी शब्दों के साथ बुद्धिमान होने की ज़रूरत पैदा करते हैँ।




शिक्षा के आरंभिक स्तर से अंत तक शिष्यों में भाषाओं के प्रति सम्मान और दिलचस्पी के भाव पैदा करने के निरंतर प्रयासों की आवश्यकता इसी तथ्य से जन्मती है कि सच्चे भाव से निकले शब्द किसी अन्य व्यक्ति के मर्म को अद्वितीय प्रकार से प्रभावित कर सकने की काबिलियत रखते हैं। जीवन के प्राथमिक एवं मूल वर्षों में किसी विचारधारा को मानस-पटल पर इंगित कर पाना सरल होता है, यदि एक विद्यार्थी निरंतर अभ्यास करता रहेगा तो वे लेखन और वाचन में अत्यधिक रूचि ना ले पाने के बावजूद भी इन विषयों के महत्व को समझेगा और अत्युत्तम प्रदर्शन कर सकेगा।

संक्षेप में कहा जाए तो वाक्पटुता, लेखन और वाचन कौशल निर्विवाद रूप से जीवन के अहम अंग हैं और इनकी महत्ता की उपेक्षा करना सरासर अनुचित है।


By Ananya Gupta




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