राम की अनसुनी पीड़ा
- Hashtag Kalakar
- Oct 23
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By Dr Er Ratnesh Gupta
वन-वन भटके, अश्रु बहाए,
सीता बिन हर क्षण तड़पाए।
राजा थे पर मन था सूना,
धड़कन में बस नाम था दूना।
मर्यादा ने बाँध लिया सब,
वेदना भीतर ज्वाल सम दब।
सीता का दुःख सबने गाया,
राम का विरह किसने अपनाया?
राजसिंहासन, सोने के महल,
बिन प्रिया लगे श्मशान समान।
इतिहास ने सीता की वेदना जानी,
राम की पीड़ा रह गई अनकही, अनजानी।
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By Dr Er Ratnesh Gupta

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