ये शाम!
- Hashtag Kalakar
- Oct 13
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By Saksham Raj
ये शाम कुछ वैसी ही है,
जब तुम पहली बार मुझसे दूर गई थी,
एक आखिरी दफ़ा मिले थे हम,
मुझे मालूम था ज़िंदगी अब वैसी नहीं रहेगी मेरी
कल से ।
ये शाम वैसी ही तो है,
तुम आज भी उतनी ही उत्सुक हो मुझसे दूर जाने के लिए,
नए दोस्त होंगे अब तुम्हारे,
मुझे मालूम है वो मुझसे बेहतर दोस्त बनेंगे तुम्हारे,
नाराज़ नहीं हूं मैं।
ये शाम बिल्कुल वैसी है,
तुम्हारी तस्वीर पिछले आधे घंटे से देख रहा हूं मैं,
रो रहा हूं पर वैसा बेबस नहीं हूं अब, बस रो रहा हूं।
कितनी सुंदर हो तुम, और कितनी खुश दिखती हो
मेरे बिना।
ये शाम वही तो है,
तुम्हे तब भी अंदाज़ा नहीं था मैं कितना प्यार करता हूं तुम्हे
तुम शायद आज भी ये ठीक से समझ नहीं पाई हो,
अफ़सोस नहीं है मुझे इस बात का,
कोई बात नहीं।
ये शाम अगर वही है?
तो कुछ प्रश्न मेरे शून्य से मन में उमड़ रहे हैं,
ये शाम अगर वही है,
तो इसका मतलब क्या तुम भी वही हो?
क्या इस शाम भी तुम वैसी ही हो जैसी उस शाम थी?
क्या आज भी तुम उतनी ही कोमल हो?
क्या आज भी तुम उतनी ही चंचल हो?
क्या आज भी तुम उतनी ही दुलारी हो?
अगर हां तो मैं संतुष्ट हूं,
तुम सदैव ऐसी ही रहना!
By Saksham Raj

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