By Aditya Mishra
आखिर ये यादों की लहरे मुझे क्यों बिगाड़ती है?
मसरूफ से बैठे इस घरौंदे को क्यों उजाड़ती है?
मस्त मगन चद्दर तान मैं कैसे सो रहा था
अचानक आवाज़ हुई जैसे कोई रो रहा था
बदहवासी में ये यादें उसी के बारे मे सोचती है
उसकी हस्ती तस्वीरे सभी मेरे हृदय को आकर नोचती है
ये हृदय जो इतने हड्डी चमड़े में दबाया हुआ है
उछले उफंगे देखो देखो कैसे घबराया हुआ है
अब इसको शांत करूं कैसे, कौनसी लोरी मै गाऊ
शायद ख्वाब उसका आ दिखे, चलो मैं सो जाऊ।
By Aditya Mishra