My Words
- hashtagkalakar
- Jan 7
- 1 min read
Updated: Jan 17
By Dr. Anuradha Dambhare
चार दीवारी मै बैठे ना जाने क्यों ईन खयालोके परिंदो को पर नहीं छुटते...
ये खयाल भी शायद लफ्जो के इंतजार मै और गेहेराई से घुलनेकी ख्वाइश
रखकर ईन कोरे कागज पर अपनी जगह बनाना चाहते है...
और शायद यही वजह है की मै, मेरे खयाल और ये लफ्ज एकदूसरे का साथ ही
नहीं छोड़ते...
By Dr. Anuradha Dambhare
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