मेरा स्कूल
- Hashtag Kalakar
- Feb 16, 2023
- 2 min read
By Kamakshi Aggarwal
एक कमरे को स्कूल बनते देखा है,
मैंने आसमान को ज़मीन होते देखा है,
पचास साल का सफर तय करते देखा है,
मैने अध्यापिकाओ को परिवार बनते देखा है।
यूँ कहते तो विद्या का मंदिर है विद्यालय को,
इस विद्यालय को मैंने घर में तब्दील होते देखा है।
बच्चों की खुशी से, चिल्लाने तक का हर
भाव बदलते देखा है।
शिक्षा का ही नहीं मैंने विद्यालय को प्रेम का सागर बनते देखा है।
यारो के याराने की मशाले जलती देखी है।
वक्त बीतता जल्दी है, बस यही खामी दिखाई पड़ती है
एक कामरे से शुरू हुआ ये स्थान आज चारो तरफ दिखाई पड़ता है।
मैंने आसमान को जमीं बनते देखा है।
टीचर की डाँट के बाद मायूस आँखे देखी है,
पर उन्हीं आंखों में मैंने जीत का उत्साह भी देखा है।
सुबह जल्दी आकार दोस्तों से बाते करने के मजे़ से लेकर घर न जाने की इच्छाओं को भी मैंने देखा है।
आपको याद नहीं होगा वो पहली बार जब आपने इस दहलीज़ को पार किया था,
पर उन सभी यादों को दिल में समेट कर मैंने रखा है।
रोती रोती आँखें लेकर आए New Admissions से लेकर,
रोती रोती आँखों से जाने वाले Alumni का साथ मैंने देखा है।
मैंने कॉपी के पन्नों को Airplane बनते देखा है,
Teenagers Gossip को हर जगह फेलते देखा हैं,
Fail होने पर रोना और Scholar बनने पर Award Ceremony को देखा है,
मैने अध्यापिकाओ को जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा बनते देखा है।
बच्चों की लड़ाई, झगड़े और नाराज़गियो को देखा है,
दिल तोड़ने और जोड़ने जैसे हज़ारो
भावो को एक ही दिल मे टटोलते देखा है।
मैंने देखा है उन भागते बच्चों को Corridor मैं हल्ला मचाते हुए,
मैंने देखा है इन नन्हे परिंदो को अासमान में अपने पंख फैलाते हुए।
मैंने उन नन्हे बच्चों के मुहँ से "Can I come In" वाले कोमल आवाज़ पर
गरज़ती आवाज़ जो कहती थी "Can I नही, May I बोलो" को देखा है
और उन्ही बच्चों को मैंने गिटार- पिटर अंग्रेजी़ मे बातें करते हुए भी देखा है।
पर इतना सब देखने वाला मैं हूँ कौन आप ये सोच जरूर रहे होंगे।
ऊपर से सीधा भगवान प्रस्तुती थोड़ी दे रहे होंगे
इस Confusion को मैं मिटा देता हूँ,
आपको अपनी पहचान बता ही देता हूँ।
मैं वो हूँ जिसने जन्म स्कूल के साथ लिया,
और हर कदम पर मैंने अपने स्कूल का ध्यान रखा।
कोई चौकीदार मैं नहीं
न किसी की आत्मा हूँ,
मैं तो वो पेड़ हूँ जो पचास साल पहले बोया गया था,
यहीं पर मैं बड़ा हुआ,
यहीं पर मैंने सब होते देखा।
'Change is the only constant' का फंडा हर साल नए बच्चौ के प्रवेश से सीखा।
बच्चे मुझ पर चढ़े हैं, झूले भी हैं, मेरी छाँव मैं लंच भी किया है।
बच्चों के बढ़ने के साथ मैंने इस स्कूल को बढ़ते देखा है।
मैंने आसमान को जमीं बनते देखा है।
और सोचना मत यारो, मेरी कहीं बातो मैं अंग्रेज़ी सुनकर, मुझे अंग्रेज़ी कैसे आती है,
याद रखो मै इस स्कूल मैं ही बड़ा हुआ हूँ,
गलत अंग्रेजी़ बोलने पर टीचर्स की डाँट सुनकर मैंने भी अपनी अंग्रेजी सुधारना सीखा है।
एक कामरे को स्कूल बनते देखा है,
मैंने आसमान को ज़मीन होते देखा है।
By Kamakshi Aggarwal

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