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मेरा शहर इंदौर

By Kunal Deepak Devre


बचपन में सुनी दादी नानी की कहानियाँ अगर सच होती तो मैं कब का यह मान चुका होता के या तो मेरे दादाजी के पिताजी अर्थात मेरे परदादाजी भूतों से कुश्ती किया करते थे या मेरी पड़ोस वाली दादी के अंदर केवल इसलिए चुड़ैलों का वास हो गया क्योंकि उन्होनें इमली के पेड़ पर ठोंकी गई खिली निकाल ली। घर में लाइट जाने पर भूतों की कहानियाँ, अपने बुजुर्गों के किस्से ये सारी बातें सुनना कोई नई बात नहीं। प्रत्येक घर चाहे वो शहर का हो या गाँव का कहानियाँ सुनना आम बात है! उस पर भी राजा महाराजाओं के किस्से उनके ठाठ बाठ सुनना सोने पर सुहागा हो जाता। ऐसा ही एक किस्सों से भरपूर, अलबेला, मस्तमौला, शरारती शहर है इंदौर। अगर शहरों की भी कोई बस्ती मान्य होती तो मैं कहता कि इंदौर उस बस्ती का सबसे बेहतरीन कलाकार होता। रोमांस हो या कोई थर्ड क्लास फाईट, टॉपर्स की भरमार हो या बदमाशों का हुजूम, ये शहर एक जुलूस की तरह है। लगता तो यूँ भी है जैसे इस शहर की बनावट, गठन, रहन-सहन, ज़िन्दगी में कोई



कसावट ही नहीं, हर तरफ से आज़ाद, जैसे शहर नहीं कोई खूबसूरत राजकुमारी हो, उसकी नाजूक कलाई को घेरे हरी चूडी जैसा रिंग रोड, उसकी पलकों की छत पर आराम करती मखमली उलझी लटों जैसी गलियाँ। बलखाती, लहराती चाल जैसा बायपास, माथे की बिंदी के रूप में शोभायमान माँ बिजासन का मंदिर, सरल सीधे लहराते केश जैसे सुपर कॉरिडॉर, सुंदर, गठित, सुसज्जित, श्रंगार से भरपूर, गोरे बदन जैसा स्वच्छ शहर। साफ इतना के स्वच्छता में देश में प्रथम स्थान प्राप्त किया लगातार तीन बार। व्यवहार में संस्कार, बोली में धार, स्वर तेज।

चाहे जो हो बारह महीने इस शहर का मौसम सुहाना और पोहा जलेबी से सुगंधित होता है, चाहे रिजनल पार्क हो या मेघदूत गार्डन, यशवंत सागर हो या बिलावली तालाब, लगता है कि हवा एक शरारती प्रेमी की तरह फूलों के आँचल और सागर की लहरों के मिजाज से छेड़खानी करती चली जाती है। गर्मियों में सुहानी सुबह और ठंडी रातों में बसने वाला शहर, और अगर आप सर्दियों में घूमने के शौकीन हैं तो सुबह सुबह निकल जाइए, शहर का कोई भी कोना हो या दशहरा मैदान जैसा खुला परिवेश, वहां की हवा आपको इठलाकर अपने ठंडे मिजाज़ के जादू में बाँध ही लेगी। ठंड के मौसम में बाल सूर्य की सुनहली अंगुलियाँ सुबह की राजकुमारी के गुलाबी वक्ष पर बिखरे हुए धुंद के केशों को हटाती जाती है और आसमान पर सुनहरा यौवन छा जाता है।



By Kunal Deepak Devre




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