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मेरा जीवन साथी

By Varsha Neeraj Chaudhary


मेरी हर एक लेखनी को मेरे पतिदेव अवश्य ही पढ़ते है और साथ ही कुछ न कुछ टिप्पणी भी देते है।

उनकी कल की प्रतिक्रिया स्वरूप मुझे यह अहसास हुआ कि उनके विषय मे भी बहुत कुछ लिखा जा सकता है।आखिरकार मेरी कहानी के प्रमुख पात्र है वह।

जहाँ तक मैने उनको समझा है वह एक बहुत अच्छे इंसान है लेकिन क्रोधित होने पर उनकी प्रतिक्रिया तीखी होती है ।मैने कहीं पढ़ा है कि जो भावनात्मक रूप से आहत होते है वैसे व्यक्ति दूसरो के द्वारा अनदेखा किए जाने पर शीघ्र ही नाराज हो जाते है। स्वयं को उपेक्षित समझने लगते है।

मुझे अपना व्यक्तित्व इसी से प्रभावित लगता है। मेरे पति परमेश्वर के ऊपर भी इसका अच्छा प्रभाव पड़ा हुआ है।



उपरोक्त बाते उनके विषय मे कही न कही बिल्कुल ठीक लगती है क्योंकि उनका बचपन किसी की कमी से भरा हुआ है। यह व्यक्ति उनकी मां है जो बहुत कम अवस्था मे ही मेरे पति और उनकी बड़ी बहनो को छोड़कर स्वर्ग लोक चली गई। मां की कमी उन सभी के जीवन मे उसी प्रकार थी जैसे वृक्ष तो है परन्तु उनमे फूल नही है।अर्थात फूलो का पौधा तो बहुत अच्छे से बढ़ रहा है लेकिन उसमे एक भी फूल नही है।तो कही न कही मां का न होना उनके व्यक्तित्व और स्वभाव को बहुत प्रभावित कर गया ।

मेरा आना उनके लिए सुखद है ,था और रहेगा भी परन्तु वह अपनापन जो मां अपने बच्चों को, वह उनको मुझसे नही प्राप्त होगा ।

मेरा यह सतत प्रयास रहेगा जीवन पर्यन्त कि मै उनको प्रसन्न रख सकू।प्रभु से यही प्रार्थना है कि सदैव वे प्रसन्न रहे और जब मेरी मेरी मृत्यु हो तो मै सुहागन ही रहूं । उनका यह परिचय संक्षिप्त है क्योकि उनके विषय मे लिखना थोडा कठिन क्योकि मेरा प्रथम प्रयास तो स्वयं कोपहचानना है जो कि मै इस लिखने की विधा के साथ पूर्ण कर रही हूं।

मुझे एक बात और समझ आती है कि व्यक्ति यदि एक अवस्था के बाद आप अपने अनुभव को लिखे उसे सुन्दर शब्दो के द्वारा व्यक्त करे तो वह किसी कहानी से कम न प्रतीत होगा।

मेरा भी यह एक छोटा सा प्रयास है


By Varsha Neeraj Chaudhary





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