मुस्कुराने की वजहें कम नहीं
- Hashtag Kalakar
- Sep 17
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By Shobha Joshi
क्या हुआ गर कोई हमदम नहीं
मुस्कुराने की वजहें फिर भी कम नहीं।
माना यूँ ही मुसकुराना आसान नहीं
पर बिन मुस्कुराए यूँ ही जीना भी तो आसान नहीं
नफा नुकसान न तौलें और
पालें गर हम कोई भी वहम नहीं
तो मुस्कुराने की वजहें कम नहीं।
आज में खुश कल की आशा
और कल जो बीता उसका कोई गम नहीं
तो मुस्कुराने की वजहें कम नहीं।
है जीवन अभिनय मात्र
न्यायसंगत हो बस पात्र
जो मिला उसमें आनंद
तृष्णा जो पूरी न हुई
उसका कोई महत्तम नहीं
तो मुस्कुराने की वजहें कम नहीं।
माना अंतस में है बोझ बहुत
जीवनपथ पर हैं अवरोध बहुत
पाया क्या इस पर है सोच बहुत
और न पाया जो उस पर है अफसोस बहुत
किन्तु देने में कुछ गर कतई झिझक शर्म नहीं
तो मुस्कुराने की वजहें कम नहीं।
तेरी लालसा तेरी ही है, तेरी आकांक्षा तेरी ही है
तेरी वेदना तेरी ही है, तेरी प्रेरणा तेरी ही है
तेरी उलफ़त तेरी ही है, तेरी मुरव्वत तेरी ही है
तेरा ही पता जानेंगी
तेरी हालत तेरी ही है, तेरी आफत तेरी ही है
क्या जाने औरों की क्या आफत
इत्मीनान जो कर कि तेरी अधिकतम नहीं
तो मुस्कुराने की वजहें कम नहीं।
प्रेमी, संतति, संबंधी साथी सब
अपने-अपने स्वांग के स्वांगी सब
अपनी-अपनी मचिया के कान्छी सब
हाथ पकड़ लो चाहे कस के कितना
अंत तक रहा कोई कब
साथ मिला जिसका, जितना और जब
तसल्ली जो कर, वो न्यूनतम नहीं
तो मुस्कुराने की वजहें कम नहीं।
क्या हुआ गर कोई हमदम नहीं
मुस्कुराने की वजहें फिर भी कम नहीं।
By Shobha Joshi

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