बेहाल दिल का हाल 💔
- Hashtag Kalakar
- Jan 11
- 1 min read
Updated: Jul 17
By Prakul Garg
शुरू हुआ बसंत की तरह इश्क-ए-सितम,
आख़िर में हो गया उनका तन बदन निर्मम।
पतझड़ के पत्तों की तरह झड़ गया,
क्या हुआ, दिल ही तो था।।
काली-काली जुल्फ़ें ले गई हमारा दिल और दिमाग,
उनका हो चुका था इस जिस्म का हर एक भाग।
गिरी इमारत की तरह ढेर हो गया,
क्या हुआ, दिल ही तो था।।
आसमान-सी नीली उनकी आंखों का हाल लिखा,
अपने इस दिल का हाल बेहाल लिखा।
पतंग की तरह कट गया,
क्या हुआ, दिल ही तो था।।
समझ ना आया क्यूं हुआ ऐसा हमारे साथ,
क्या उनको याद नहीं कैसे करते थे हम रात-रात भर बात।
कयामत की तबाही की तरह तबाह हो गया,
क्या हुआ, दिल ही तो था।।
ऐसा आया इस दिल पे घाव,
धरे के धरे रह गए उन्हें पाने के सारे ख्वाब।
कांच की तरह टूट गया,
क्या हुआ, दिल ही तो था।।
By Prakul Garg

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