“बन्दा और ख़ुदा”
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“बन्दा और ख़ुदा”

By ZafarAli Memon


एक मुख़्तसर सी कहानी है

जो ज़फ़र कि मुँह-ज़बानी है


ये हुकूमत आसमानी है

हर मख़्लूक़ रूहानी है


ये ख़ुदा की मेहरबानी है

की सज्दों में झुकती पेशानी है





ये सारी दुनिया फ़ानी है

हर शख़्स को मौत आनी है


ये इंसानियत अय्याशी की दीवानी है

हर शख़्स की ढलती जवानी है


क़ुदरत की पकड़ से कोई नहीं बचा

ये आ रहे अज़ाब क़यामत की निशानी है


ये लोगों की गुमराही और बड़ी नादानी है

की कहाँ ऊपर ख़ुदा को शक्ल हमें दिखानी है


By ZafarAli Memon




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