बदलाव
- Hashtag Kalakar
- Oct 18
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By Aishwarya Samir Saraf
सब कहते हैं,
वक़्त के साथ ज़रूरी है बदलाव,
सब कहते हैं,
comfort zone के आगे है बदलाव।
पर मैं पूछती हूँ,
क्या ज़रूरी है हमें बदलना?
क्या ज़रूरी है शादी के बाद
अपना गाँव छोड़ना?
नाज़ों से पली
छोटी-सी बेटी को
यूँ ही अचानक
उम्र से बड़ा हो जाना?
बिना सोचे-समझे
जो अपने विचार रखती थी,
उसे बोलने से पहले
सौ बार सोचना?
क्या ग़लत है वो
स्वतंत्र चुनना,
जो माता-पिता ने हमें दिया?
पापा कहते हैं—
“बड़ा नाम करेगी,”
पर ससुराल ही वो शक्ति है
जो उसे guilt free
आगे बढ़ने देगी।
ख़ुद से पूछती हूँ,
ये विचार कम क्यों नहीं होते,
समझाती हूँ ख़ुद को,
अपने हक़ की लड़ाई लड़ने से
हम बुरे नहीं होते।
ज़िंदगी एक ही है,
अपने फ़ैसले ख़ुद करो,
“अच्छे बदलाव” से
समझौता मत करो।
हम बढ़ेंगे आगे
तो बढ़ेगा परिवार,
नाम होगा सबका,
और सदा रहेगा प्यार।
बदलाव तो है ही ज़रूरी,
पर वही जो हो उचित,
सार्थक और आधुनिक।
By Aishwarya Samir Saraf

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