बचपन की निश्छलता
- Hashtag Kalakar
- 1 hour ago
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By Umang Agarwal
शीतल हवा के झोंकों की भाँति
मन को कहीं गहरे तक
छू जाने वाली
यह तुम्हारी मधुरिम मुस्कान
सौम्यता के हर शिखर को
पार कर जाने वाली
यह तुम्हारी सौम्यतम मुस्कान
तुम्हारे सुंदर चेहरे में छुपी हुई
बर्फ की सी स्निग्धता लिए
आँखों में बस जाने वाली
तुम्हारी निर्मल, निश्छल मुस्कान।
इसे संभाल कर रखना।
इसे निर्मल और निश्छल ही बनाये रखना।
जीवन में ऐसे
कितने ही अवसर आयेंगे
जब कदम – कदम पर
काँटे ही नज़र आयेंगे
पर तुम,
अपनी इस शीतल मुस्कान से
उनका सामना करना
उनका दर्द भी
हंस कर सह जाना
और, जब भी कभी
जहाँ भी कहीं
ज़रा भी कभी
कोई भी तुम्हें उदास दिखे
अपनी थोड़ी सी हँसी बाँट देना।
By Umang Agarwal

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