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प्यारअगर हमको दिखता तो

By Surendra Kumar Sharma


प्यार अगर हमको दिखता तो ,

उसका चेहरा कैसा होता ।

भोली - सी सूरत होती और ,

एक फरिश्ते जैसा होता ।।


बंसी की धुन में कान्हा के ,

राधा सँग वृन्दावन होता ।

ग्वाल- बाल बन रास रचाता ,

गोप - गोपियों सा तन होता ।

हाथ मदद के लिए उठाता ,

कदम मदद के लिए बढ़ाता ।

दर्द दूसरों का कम करता ,

वह नारायण जैसा होता ।





कान दर्द उसका सुन लेता ,

आँखें दर्द समझती सबके ।

भरत मिलाप हो रहा जैसे ,

गले मिल रहे हों हम रब के ।

श्रद्धा और विश्वास समेटे ,

रूप मनोहर ऐसा होता ।

मुस्काता उपवन में जैसे ,

मधुर सुमन के जैसा होता ।


राम - कृष्ण गौतम - सा जग में ,

विश्व प्रेम कण - कण में बोता ।

शबरी के जूठे बेरों संग ,

दिव्य प्रेम में नयन भिगोता ।

प्रभु का सरयू पार उतरना ,

केवट प्रेम झलकता होता ।

युग - युग कृष्ण - सुदामा जैसा ,

प्रेम पनपता वैसा होता ।


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By Surendra Kumar Sharma





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