पिता: एक अनकही कहानी, एक अदृश्य बुनियाद
- Hashtag Kalakar
- Aug 11
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By Preetika Gupta
पिता! यह सिर्फ़ एक शब्द नहीं, एक पूरा ब्रह्मांड है। एक ऐसा ब्रह्मांड जिसकी नींव त्याग पर टिकी है, जिसकी दीवारें धैर्य से बनी हैं और जिसकी छत निस्वार्थ प्रेम से ढकी है। हम अक्सर माँ आँचल की छाँव को पूजते हैं, उनके त्याग की सराहना करते हैं, लेकिन पिता एक विशाल वृक्ष की तरह हैं जिसकी जड़ें इतनी गहरी हैं कि वे अक्सर दिखाई नहीं देतीं, लेकिन उन्हीं की वजह से हमारा अस्तित्व पनपता है।
समाज की विडंबना देखिए, हम अक्सर पिता को एटीएम, ज़रूरतों का पुलिंदा समझ लेते हैं। उनके संघर्ष, उनकी रातों की नींद, उनके अनकहे सपने, सब कहीं धूल में दब जाते हैं। जब बच्चा लड़खड़ाता है, तो माँ का प्यार उसे संभाल लेता है, लेकिन जब उसे समाज की कठोरताओं से जूझना पड़ता है, तो पिता का मौन सहारा ही उसे हिम्मत देता है। वे सिखाते हैं कि आँसू बहाना कमज़ोरी नहीं, पर उन्हें दूसरों के सामने प्रदर्शित करना भी हर बार ज़रूरी नहीं। वे सिखाते हैं कि गिरना लाज़मी है, पर उठना अनिवार्य।
रिश्तों के ताने-बाने में पिता एक ऐसा धागा है जो दिखता कम है, पर पूरे वस्त्र को कसकर रखता है। उनकी डाँट में छुपा प्यार, उनकी चुप्पी में समाई चिंता, और उनके हर छोटे-बड़े फैसले में आपकी भलाई का सार होता है। हम अक्सर उनके बुढ़ापे में उनकी लाठी बनने की बात करते हैं, पर क्या हम उनके जीते जी उनके बोझ को हल्का करने का प्रयास करते हैं? क्या हम उनकी सुनी आँखों में अपने सपनों की चमक लौटाने की कोशिश करते हैं?
आज समाज को यह समझने की नितांत आवश्यकता है कि पिता केवल प्रदाता नहीं, वे हमारे अस्तित्व के संरक्षक हैं। उन्हें सम्मान दें, उनके अनुभव को सुनें, उनकी मौन भाषा को समझें। उनसे संवाद स्थापित करें, क्योंकि उनके सीने में दबे अरमानों का बोझ अक्सर उन्हें भीतर से खोखला कर देता है। एक मजबूत समाज वही है जहाँ हर रिश्ता अपनी गरिमा और पहचान के साथ जीए, और पिता का रिश्ता उस पहचान का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है।
आइए, हम इस पितृ-सत्तात्मक समाज की उन रूढ़ियों को तोड़ें जहाँ पिता को हमेशा कठोर और भावनाहीन समझा जाता है। उन्हें भी प्रेम की, स्नेह की, और समझने की ज़रूरत होती है। उनकी अनकही गाथा को पहचानें, उनके अदृश्य आधार को नमन करें, और एक ऐसे समाज का निर्माण करें जहाँ पिता को उनका वास्तविक स्थान मिल सके – एक सच्चा हीरो, एक निस्वार्थ संरक्षक, और एक अमर प्रेरणास्रोत।
By Preetika Gupta

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