पहलगाम
- Hashtag Kalakar
- Aug 8
- 1 min read
By Poorvi Joshi
बड़ा हसीन नज़ारा था
कश्मीर की वादियों में हर शक्स
ले रहा धरती पे स्वर्ग का नजारा था
हर जगह प्यार ही प्यार बिखराया था
पापा मैगी खिलाओ
सुनिए जी एक वीडियो तो बनाओ
हर कोई ले रहा नज़ारा था
कहीं से आवाज आई
अपना अपना धरम बताओ
हिंदू एक तरफ़
मुस्लिम दूसरी तरफ़ हो जाओ
समज में किसी के कुछ ना आया था
पाल भर में कुछ लोगो ने
सारा माहोल बिगाड़ा था
बच्चों के सर से पिता का साया
और सुहागन का सुहाग उजाड़ा था
खुशियों के पलों कों
गम का सैलाब बनाया था
कुछ बेगुनाह लोगो का खून
धर्म के नाम पे बहाया था
भारत के हर शकस का मन भर आया था
भारत के हर शकस का मन भर आया था
By Poorvi Joshi

Great poem touching
Very truly written