पढ़ाई के दिन
- Hashtag Kalakar
- 2 hours ago
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By Sumita Kumari
पढ़ाई के दिन थे
चर्चे में हम थे
बात बस इतनी सी थी
किसी की पसंद मैं थी
किशोर से युवा
अवस्था पे कदम ही पड़े थे
इंटर से कॉलेज
कॉलेज से इंजीनियरिंग का
सफर लिए नए सपने के
साथ चले ही थे
हाथों में किताब
सर पे जुनून पर
उसे क्या पता था
जिम्मेदारियों से बंधे हम थे
छोटा शहर था
लोगों की फिक्र थी
इससे पहले कि वो कर पाता
लब्जो में बयां
हम भी कम न थे
दूर दूर रहते थे हम
छिटक छिटक चलते थे हम
ये जान कर भी
किसी के मन की बात
हम बनाते थे अनजान
समय की मांग थी
मां बाप के स्वप्न पे
खरे उतरना था
उम्मीद मर्यादा को
पहला स्थान दिया था
पर उसे क्या पता था
हम क्यों दूर होते है
बहाने बनाकर
दोस्ती ने उसे उकसाया
बहुत था
करियर के सपने
जिम्मेदारियों का अहसास
से जकड़ी
भावनाओ में उसके लड़खड़ा न जाऊ
ऐसी थी पत्थर की मूर्त मैं
उसे भी एक दिन
अहसास हुआ
जाने किस पत्थर से
जाकर टकराया हु मैं
एक ख़ुसूरत एहसास
जिसे वो सीने से लगाया था
झकझोर के उसको
जगाया था मैने
समय ने भी दस्तक दी थी
कोर्स के खत्म होने
का भी वक्त था
क्लासरूम के आखिरी
दिन थे ,फिर भी वो
मिलने आया था मुझसे
भावनाओ को किनारा
किया था मैने
क्योंकि कामयाबी ही उसकी
बेहतर समझा था मैंने
By Sumita Kumari

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