दोस्ती
- Hashtag Kalakar
- Sep 28, 2022
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By KAUSTUBH MISHRA
यूं तो अरमां -ए -मोहब्बत का वो घर भी काफ़ी बड़ा था
पर इत्तेफ़ाक से तेरी उम्मीदों का शहर भी काफी बड़ा था
सुपुर्द - ए - ख़ाक मुझे करने की तेरी तैयारी तो ख़ूब थी
लेकिन मेरे दोस्तों की दुआओं का असर भी काफ़ी बड़ा था।
By KAUSTUBH MISHRA

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