दो पल की जिंदगी
- Hashtag Kalakar
- Oct 24
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By Nishu Mehta
जिंदगी जिले इसे
क्या पता, कब कहाँ क्या मोड ले |
क्या पता, इस दो पल की जिंदगी का,
क्या पता, कब साथ छोड़ दे |
तू जिले दिल भर कर इस जिंदगी को,
क्या पता कब दम तोड़ दे |
आखिरी वक्त में ना होगा कोई तेरे साथ में
भूल जाएगा माँ पापा का प्यार,
सब छूट जाएगा यहीं पे |
पूरे कर ले सपने अपने, छू ले सारी ऊँचाइयाँ,
दिल में आए वो कर, घूम सारा जहाँ,
कुछ बाकी न रहे अफ़सोस को जी जिंदगी इस तरह |
जहाँ गम खुशियों का ठहराव है,
ऐसे जिंदगी जीते हुए नाव पार है |
By Nishu Mehta

Thank you for sharing such a personal and vulnerable piece. It takes a lot of courage to put your heart on the page like that.
Very good 👌👌
"Such elegant simplicity with profound depth. A masterpiece in few words."
Amazing writing 👏👏