दो कप चाय हो जाए ।
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दो कप चाय हो जाए ।

By Nirupama Bissa


क्या आपको लगता है कि चाय केवल चाय ही होती है ? अन्य पेय पदार्थों की तरह ही । नहीं ना.......


मुझे भी यही लगता है की इस भागती दौड़ती जिंदगी में सुकून के दो पल होती है ये चाय । अधखुली आंखों को सुबह सुबह इंतजार होता है इस टॉनिक का ।


सुबह सुबह रसोई में कोई भी जाकर चाय चढ़ाए

तो घर के हर कोने से आवाज आए ,


"एक कप मेरी भी बना लेना , मैं भी जाग ही रही हूं ।"

दिन के किसी भी वक्त चाय बनाइए आप , अकेले तो नहीं पी पाएंगे , मेरा दावा है ।


आस पास से आवाज आ ही जायेगी " मुझे भी देना "


एक चाय के बहाने से ही तो रोक लेते हैं हम कुछ और पलों के लिए घर आए हुए दोस्तों को ।


बैठिए ना, चाय पीते हैं । ऐसा कहकर ही तो मैं साहब को कुछ देर रोक सकती हूं बतियाने को ।


जब अकेली होती हूं तब भी चाय दो कप ही बनाती हूं और फिर मन ही मन मुस्कुराती हूं कि कैसे घुल मिल गए हैं ना जीवन हमारे , ठीक वैसे ही जैसे चाय में घुल जाता है दूध और अपना लेता है उसी का रंग रूप।


दादी जी जब ब्याह कर आई थीं तब लाई थी अपने संग इस चाय का स्वाद , उसके पहले कहते हैं कि घर में किसी को चाय के बारे में कुछ नहीं पता था ।

नई नवेली दुल्हन के रूप में दादीजी ने चाय के स्वाद से पूरे घर को अपना बना लिया । फिर तो दादी जी और चाय दोनों ही परिवार का सबसे प्यारा और अभिन्न हिस्सा बन गए।


उस घर की हर सुबह दादी जी के हाथ की चाय से ही होती थी , फिर जब मैं कुछ 3/4 वर्ष की थी तभी से उनके साथ अल सुबह जाग जाती थी । वो हमेशा कहती थीं


"तू इत्ती जल्दी क्यू उठ जावे, नींद कोनी आवे तन्ने ?"


उनको क्या बताऊं कि वही पल तो मेरी जीवन की अमूल्य निधि हैं आज भी , वो पल जो सबसे पहले उठकर आप के साथ जी लिए मैने वही तो सबसे अलग धन है मेरा ।


आज चाय की बात चली तो फिर से वो सब कुछ आंखो के आगे किसी फिल्म की तरह चलने लगा। इस चाय ने जाने अंजाने मुझे जल्दी उठना सिखा दिया ।





चाचा जी का कहना है कि मैं जान डाल कर चाय बनाती हूं । कैसे भला ........ वही जानें।


भैया से चाय की पूछो तो कहते हैं


"जो हमें जानते हैं वो चाय की पूछा नहीं करते ........".( मतलब सीधा बना के हाथ में थमाया करते हैं )


एक चाय और इतने चाहने वाले , ऐसे ही तो नहीं हुए होंगे ना।

चाय नहीं चाह है ये ।


ओह, देखिए कैसी है ये चाय , एक जरा सी बात और मैं टाइम मशीन में सवार होकर कहां कहां यात्रा कर आई ......


खैर...... एक बहुत जरूरी बात


दोस्तों पे गुस्सा आ रहा हो तो ये चाय बड़ी सहायता करती हैं

बस एक एक का नाम लो और अदरक को कूटो जोर जोर से, गुस्सा भी फुर्र और चाय का स्वाद भी दुगुना ।


तो देर किस बात की है , आइए एक कप चाय हो जाए ।


By Nirupama Bissa





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