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दुविधा

Updated: Feb 1, 2024

By Swati Sharma 'Bhumika'


करीब 20 दिन पहले कि बात है, मेरे मोबाइल की घंटी बजी, मैंने फ़ोन उठाया, तो मेरा परिचय एक जानी-पहचानी आवाज़ से हुआ | परन्तु, मैं उसे पहचानने में अक्षम थी | तब उसी ने बताया, वह मेरा बहुत पुराना मित्र था, जो कि मेरा पड़ोसी भी था| मैंने जब अचानक फ़ोन करने का कारण पूछा तब उसने बताया कि वह मुझसे कुछ ज़रूरी बात करना चाहता है | वह मुश्किल में था और चाहता था कि मैं उसकी सहायता करूं | मैंने उससे ज़्यादा पूछ-ताछ करे बिना ही सीधे उसकी समस्या पूछी |


उसने बताया कि वह किसी लड़की को पसंद करता था, उसे लगता था वह लड़की किसी और को पसंद करती है | और यह सोचकर उसने, उससे बिना कुछ कहे यह सोच लिया कि पहले वह जीवन में इस लायक बन जाए, तब वह उसको अपने ह्रदय कि बात बताएगा | परन्तु, जब तक यह हुआ, वह लड़की उससे काफी दूर चली गई | उसका कुछ भी अता-पता उसे मालूम नहीं था | कई वर्षों तक प्रयास करने के पश्चात् वह उसे ढूंढ नहीं पाया | फिर उसका विवाह किसी अन्य लड़की से हो गया | वह उसके जीवन में बेहद प्रसन्न था, उसकी जीवन संगिनी बेहद सुन्दर एवं गुणी थी | उसने अपनी भावनाओं को, जो कि उस लड़की से जुड़ी हुई थीं, दबा दिया | और अपने जीवन में आगे बढ़ गया |


मैंने उससे पूछा- "जब तुम अपने जीवन में आगे बढ़ चुके हो, तो अब तुम्हें क्या समस्या है ?” उसने बताया कि अचानक वो लड़की एक मॉल में मेरे समक्ष आई | मैं अवाक् सा देखता रह गया, कि यह क्या हुआ ? जब मैं इसे ढूंढ रहा था | तब कहाँ थी यह ? और अब अचानक कैसे ? फिर उन दोनों ने छोटे से कैफ़े में कॉफ़ी पी, कुछ वार्तालाप भी की | उस दिन के बाद से उस लड़के को फिर से उस लड़की के लिए वही महसूस होने लगा जो पहले हुआ करता था |



उसने बताया कि वह उसकी पत्नी के साथ रहकर भी उसके साथ नहीं होता था | इतना सुनकर मैंने उसकी बात बीच में ही काटते हुए कहा- "मैं समझ गयी तुम्हारी समस्या, अब मैं जो कहने जा रही हूँ, उसे गौर से सुनना और जो भी पूछूं उसका सही उत्तर देना | पहली बात यह कि क्या वह लड़की उस समय तुम्हारी इस भावना से वाकिफ थी ?" उसने कहा- "नहीं मुझे नहीं लगता |" मैंने कहा- "ठीक है, यह बताओ कि क्या तुम्हें कभी ऐसा लगा कि वह तुम्हें पसंद करती होगी ?" उसने उत्तर दिया- " नहीं, मुझे लगता था कि वह किसी और को पसंद करती है!” मैंने कहा जब वह तुम्हारी दोस्त थी और तुमसे उसकी बात भी होती थी, तो पहले तुम्हें यह पता करना चाहिए था कि उसे वाकई में कोई पसंद है या नहीं|


" मैंने कहा- "तुमने बहुत सही किया, जो उसको एक तरफ रखकर अपने भविष्य को सुदृढ़ बनाने हेतु प्रयास किया एवं स्वयं को उस मुकाम तक पहुँचाया | परन्तु, अब जब वह फिर से तुम्हें मिली है और तुम फिर से उसके लिए ऐसा महसूस करने लगे हो तो तुम्हें यह सब बातें उससे करनी चाहिए |


"उसने कहा- "अब मैं शादीशुदा हूँ | उसकी भी शादी हो गई होगी, तो ऐसे में यह सब बातें करने का क्या लाभ?" मैंने कहा- "लाभ है ! आप सभी से भी मैं यही कहना चाहूंगी कि ऐसी परिस्तिथि में हमें अपनी बात को स्पष्ट एवं साफ़ शब्दों में उस व्यक्ति से कहना चाहिए, कि आप उनके बारे में क्या महसूस करते थे | लाभ यह है कि यदि हम ऐसा करते हैं, तो हम अपनी उस दबी हुई भावना से मुक्त हो जाते हैं, जो हमें निरंतर परेशान करती है | क्योंकि यदि हम ऐसा न करें तो, उसमें हानि किसी और की नहीं अपितु हमारी ही है | हम न तो अपने जीवन साथी के साथ कभी पूर्ण रूप से खुश रह पायेंगे न ही कभी उसे खुश रख पाएंगे |


क्योंकि वह बात हमें अन्दर ही अन्दर परेशान करती रहेगी एवं हम अपने जीवन साथी के सर्वगुण संपन्न होते हुए भी उसके साथ अपने रिश्ते को मृदुल नहीं बना पाएंगे अतः उसके साथ हमारे रिश्ते का आनंद नहीं उठा पाएंगे | इसीलिए मैंने उसे यह सलाह दी एवं आश्चर्य की बात यह है कि उसने मेरी यह सलाह स्वीकार भी कर ली |


कल ही उससे मेरी बात हुई उसने बताया कि जब उसने उसको वह सब कहा जो वह उसे कहना चाहता था | वह लड़की मुस्कुराई और बोली- "तो तुम इतना घबरा क्यों रहे हो?" फिर जो बात उनके मध्य हुई वह थोड़ी व्यक्तिगत है, इसीलिए मैं क्षमा चाहूंगी वह मैं आपको नहीं बता सकती |


परन्तु, इतना अवश्य कह सकती हूँ कि वे दोनों ही अपने-अपने व्यक्तिगत जीवन में सुखी हैं | अब उस लड़के को वह बात परेशान नहीं करती | वह अपनी पत्नी के साथ पहले से ज़्यादा प्रसन्न एवं खुश है |


इस घटना से हमें यही शिक्षा मिलती है, कि कई बार कुछ करने की चाह हमारे भीतर इतनी जगह ले लेती है कि किसी न किसी रूप में हमें परेशान करती रहती है | जिसके कारणवश हम अपने जीवन में जो वरदान, खुशियाँ एवं उपलब्धियाँ हमें मिलती हैं उनका लुत्फ़ नहीं उठा पाते | तो आप सभी से मेरा यही अनुरोध है कि अपनी बेड़ियों को तोड़िए एवं स्वयं को इस प्रकार के बोझ से मुक्त करके स्वतंत्रता से आपके जीवन रुपी आशीर्वाद का लुत्फ़ उठाइए |


स्वयं को अवश्य टटोलिए, कोई न कोई बेड़ी अवश्य टूटना चाहती होगी |


~विचार कीजियेगा हल आपको अवश्य मिलेगा |


By Swati Sharma 'Bhumika'




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