दा'वेदार
- Hashtag Kalakar
- Dec 19, 2022
- 1 min read
Updated: Jan 12, 2023
By Akshay Sharma
छेड़ना इसे न तुम
हैराँ है ख़ुद में गुम
ज़ोर-शोर गहरा कुआँ...सबब का खुदा... ख़ुदा
गाड़े है नीव नई
चीख पड़े पहाड़ सभी
रुक जा, थम जा!...यूँ न पागल तू बन मेरी जान....मेरी जान
नींद पूरी कर ले अब
सूखे तन को भर ले अब
ऐसा हुआ न...न होगा कभी दा'वेदार
धड़कन की धड़ धड़ में, झूलन के ललन में
तूती की सीटी में, मस्ती की रीति में
हो जा तैयार...आने वाला है तोहफ़ा कमाल!
दा'वेदार, डर थी दवा, डर से है द्वार
दा'वेदार, डर थी दवा, डर से है द्वार।
भूक की गिनती कर
सोग की विन्ती कर
पाना था अम्बर...समय के एक कोना नया
राह में बुझ गया
चाह में गिर पड़ा
दर्द में, ख़ौफ़ में...लिया पूरा मज़ा...मज़ा
हँसना गाना कर ले अब, चोट को भर ले अब
ऐसा हुआ न...न होगा कभी दा'वेदार
धड़कन की धड़ धड़ में, झूलन के ललन में
तूती की सीटी में, मस्ती की रीति में
हो जा तैयार...आने वाला है तोहफ़ा कमाल!
दा'वेदार, डर थी दवा, डर से है द्वार
दा'वेदार, डर थी दवा, डर से है द्वार।
By Akshay Sharma

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