तन्हाई/अकेलापन
- Hashtag Kalakar
- Oct 23
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By Gourav Chandna
तन्हाई मै कुछ अटक सा गया हूँ ,
ज़िंदगी मै कुछ भटक सा गया हूँ ।
सुना था जहन्नुम इस जमीन पर नहीं ,
पर मै ज़िंदा रहते हुए इसे बरदाश्त कर रहा हूँ ।।
तन्हाई जब ज़िन्दगी मै आती है,तब पता नहीं पड़ता
पता पड़ता है तब तक देर हो जाती है ,
सही वक्त रहते इसे भगाया नहीं गया
तो ये जीवन की बर्बादी बन जाती है ।
तन्हाई कब तबाही का रूप ले ले
उससे पहले होशियार हो जा,
अपना वक्त तन्हाई मै नहीं
किसी के साथ तो बीता के बता ।
ज़रूरी नहीं वो जानदार हो,
वह कोई भी हो सकता है।
अपना कुछ वक्त उसे देकर देख,
वह तुझे नतीजा दे सकता है।
खुशी दे सकता है,
जिंदगी दे सकता है।।
By Gourav Chandna

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