top of page

तन्हा रहने का सिलसिला

By Mohd Shakeb ("Shauk-E-Shakeb")


दिल का मेरे तन्हा रहने का सिलसिला कुछ यूँ जारी रहा,

कहीं अलफ़ाज़ गुम रहे तो कहीं दिल-फेंक समझा गया।


वो जो कहते थे, मेरे अलफ़ाज़ हैं लज़्ज़त-ए-ज़िंदगी उनकी,

वो लब-ओ-लहज़ा अब उनको मज़ा क्यों नहीं देते।


सफ़्हे-दर-सफ़्हे महक रहे हैं मेरी तहरीर के उल्फ़त में,

एक ज़िंदगी है, जो वीरान रह गई उसके इंतिज़ार में।



छोड़ आये तेरी गलियों में जो मेरे ना रहा, कि अब

उस मुस्कुराहट भरे इंकार पे गुज़रानी है जिंदगी अपनी।


और, तकल्लुफ़ ना करें इज़्हार-ए-मोहब्बत में,

दिल-शिगाफ़ी मुक़र्रर है, हर रज़ा में।


शदीद दर्द-ए-दिल मैं मुब्तला है वो,

जिन्हों ने कभी बे-इंतिहा मोहब्बत की थी।


By Mohd Shakeb ("Shauk-E-Shakeb")



Recent Posts

See All
My Words

By Dr. Anuradha Dambhare चार दीवारी मै बैठे ना जाने क्यों ईन खयालोके परिंदो को पर नहीं छुटते... ये खयाल भी शायद लफ्जो के इंतजार मै और...

 
 
 
धी लोचा सिटी।

By Hemangi Sosa ધ લોચા સિટી. અહીંયા વસેલા ચહેરાઓ આ શહેરને એના સ્વાદથી ઓળખે છે. એમ સમજો કે,  આ શહેરમાં તમને સ્વાદના અલગ - અલગ ચહેરાઓ જોવા...

 
 
 
यादें

By Hemangi Sosa યાદો.    કેદ થયેલી ક્ષણો ધબકારા બની ને તમને બેચેન કર્યા કરે છે. પણ , આ છે શું ????        8. (यादें )  ( कैद किए गए पल...

 
 
 

Comments

Rated 0 out of 5 stars.
No ratings yet

Add a rating
bottom of page