जो बात सही कर रहे सभी
- Hashtag Kalakar
- Oct 18
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By Purnima Raj
एक परिस्थिति में आ गई
गोल-गोल घूम कर वहीं आ रही थी
बदल रहा था जमाना मैं फिर भी
घूम कर वहीं आ रही थी
मेरे संसाधन और मेरे
लोग खत्म हो रहे थे
रणभूमि को छोड़ने को बोल रहे थे
दर्द असहन से बाहर हो गया था
इसीलिए नहीं दर्द है तो सह नहीं सकती
रास्ता नहीं देख रही थी , दर्द बांट नहीं रही थी
फिर अंतिम विकल्प लगा छीन ले अपने प्राण
किसी ने देखा मुझे रोका और समझाया
माना कि तुम सफल नहीं,
फिर भी कोई गलत ख्याल नहीं
कोई गलत आरोप सहाना आसन नहीं
पर फिर भी तरीका वो नहीं
माना तुम टूट गई फिर भी वो बात नहीं
तुम निकलो तुम उभारो यही बात सही
जो बात सही कर रहे सभी ।
By Purnima Raj

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