जीवन का रंगमंच
- Hashtag Kalakar
- Jan 6, 2023
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By Varsha Ranjit Jha
बचपन में जब ख्वाइश जगी
बड़े होकर कुछ दिखाना है,
यह सोचना नादानी था
की बड़ा होना कितना सुहाना है,
मासूम से उन सपनों का अभी आँखों से ओझल होना बाकी था,
अभी तो जीवन के रंगमंच पर आना बाकी था।
अज्ञान थी इस बात से मैं
माँ एक वक्त भी ऐसा आएगा,
न चाहते हुए भी तुमसे
कुछ बात छुपाना पड़ जाएगा,
उन छोटी आँखों से तो अभी जमाना देखना बाकी था,
अभी तो जीवन के रंगमंच पर आना बाकी था।
नन्हें से मन ने मान लिया था
पापा आप ही मेरी ताकत हो,
उस भगवान का दिया गया
सबसे बड़ी अमानत हो,
लेकिन मुसीबतों के भंवर में अभी उस हिम्मत का खोना बाकी था,
अभी तो जीवन के रंगमंच पर आना बाकी था।
संघर्ष भरा ये पथ होगा,
हौसला ही जीवन का रथ होगा,
दृढ़ निश्चय की मुठ्ठी बांधकर अभी कुछ हासिल करना बाकी था,
अभी तो जीवन के रंगमंच पर आना बाकी था।
By Varsha Ranjit Jha

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