जिंदगी को जीने की सत्यता
- Hashtag Kalakar
- Oct 13
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By Prerak Sunilkumar Pithva
वो अफसाना जिसे अंजाम तक लाना न हो मुमकिन
उसे एक खूब सूरत मोड देकर छोड़ना अच्छा।
“धूप में निकालो घटाओ में नहा कर देखो
जिंदगी क्या है किताबी को हटाकर देखो”
उजआले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो
न जाने किस गली में जिंदगी की शाम हो जाए।
By Prerak Sunilkumar Pithva

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