जज़्बात
- Hashtag Kalakar
- Aug 16
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By Bansari Pritesh
साल बीत रहे हैं, उम्र ढल रही है,
जवानी के दिन हैं और मुसीबतें कम नहीं।
एक वक़्त गुज़ारा था पहाड़ों में—
याद है मुझे।
इस शहर में वो सुनहरी रौनकें अब आबाद नहीं।
वहाँ के लोग बोलते थे प्रेम की बोली,
यहाँ के लोगों में जज़्बात ही नहीं।
आँखों कहीं भी झूठ होती है यहाँ,
हम में तो लफ़्ज़ों में झूठ कहने तक का हुनर नहीं।
By Bansari Pritesh

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