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चर्ख़ा

Updated: Dec 5, 2022

By Akshay Sharma





मैंने चर्ख़े की घूमी से सीखी, किताब...

हासिल, हासिल हुआ है...हुआ है, ख़िताब....

तू गिरा दे, गिरा दे, गिरा दे...हिसाब

जगह ये लाजवाब, जगह ये लाजवाब।


हरा गुरु है, हरा गुरु है, धीरे फैला है साज़

हारा गुरु है, हारा गुरु है, धीरे मरती आवाज़।


मैंने चर्ख़े की घूमी से सीखी, किताब....

हासिल, हासिल हुआ है....हुआ है, ख़िताब....





धोके से, धोके से, मुझको तू न बुला

रो के, रो के, तुझको क्या है मिला...

चलती-चलती दुनिया ये सारी, बिन तेरे मेरे यार!

चलते-चलते आती जो ख़ुशबू, तू वो बतला ।


मैंने चर्ख़े की घूमी से सीखी, किताब...

हासिल, हासिल हुआ है...हुआ है, ख़िताब...


By Akshay Sharma






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